Shiksha Mitra Vs BTC कानूनी उपबंधों के खिलाफ शिक्षामित्रों का समायोजन कैसे
Shiksha Mitra Vs BTC
कानूनी उपबंधों के खिलाफ शिक्षामित्रों का समायोजन कैसे
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के एक लाख 24 हजार शिक्षामित्रों को प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका को सुनवाई हेतु 19 जून को पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने शिक्षामित्रों की तरफ से पक्षकार बनाने की अर्जी को भी पत्रावली पर दाखिल करने की अनुमति देते हुए सभी पक्षों से याचिका पर जवाब मांगा है।
कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि क्या सरकारी नीति कानून के खिलाफ भी बन सकती है।
कानूनी उपबंधों के खिलाफ शिक्षामित्रों का समायोजन सरकार कैसे कर रही है?
टीईटी पास शिव राजन व अन्य की याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल कर रहे हैं। राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजन करने के लिए नियमावली में संशोधन कर नियम 16 (ग) जोड़ा है। इसके तहत शैक्षिक योग्यता में शिथिलता दिए जाने की छूट दी गई है। याची के अधिवक्ता आईएस तोमर का कहना है कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सहायक अध्यापक की योग्यता टीईटी पास करना अनिवार्य किया गया है। केंद्रीय कानून के खिलाफ राज्य सरकार को बिना टीईटी पास किए स्नातक शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक नहीं बनाया जा सकता। एनसीटीई की तरफ से अधिंवक्ता रिजवान अली अख्तर बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से एके यादव ने पक्ष रखा। कोर्ट में तर्क दिया गया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने योग्यता नियमों को शिथिल करने की राज्य सरकार को छूट दी है। उत्तराखंड राज्य सरकार ने भी शिक्षामित्रों के समायोजन किया है। याची की तरफ से कहा गया कि केंद्रीय कानून के खिलाफ राज्य सरकार को कानून बनाने का अधिकार नहीं है।
प्रदेश सरकार ने 30 मई 14 को उत्तर प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल्य शिक्षा का अधिकार (प्रथम संशोधन) नियमावली 2014 एवं उ.प्र. बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा 19वां संशोधन नियमावली 2014 में संशोधन कर शिक्षामित्रों को बिना टीईटी पास किए सहायक अध्यापक बनाने की छूट दी है। टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ नियुक्ति करने का राज्य सरकार को अधिकार नहीं है। कोर्ट इस मुद्दे व नियमावली की वैधता पर उठाए गए सवालों की 19 जून 14 को सुनवाई करेगी
News Source / Sabhaar : Jagran (17.06.2014)
Shiksha Mitra Vs BTC
कानूनी उपबंधों के खिलाफ शिक्षामित्रों का समायोजन कैसे
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के एक लाख 24 हजार शिक्षामित्रों को प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका को सुनवाई हेतु 19 जून को पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने शिक्षामित्रों की तरफ से पक्षकार बनाने की अर्जी को भी पत्रावली पर दाखिल करने की अनुमति देते हुए सभी पक्षों से याचिका पर जवाब मांगा है।
कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि क्या सरकारी नीति कानून के खिलाफ भी बन सकती है।
कानूनी उपबंधों के खिलाफ शिक्षामित्रों का समायोजन सरकार कैसे कर रही है?
टीईटी पास शिव राजन व अन्य की याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल कर रहे हैं। राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजन करने के लिए नियमावली में संशोधन कर नियम 16 (ग) जोड़ा है। इसके तहत शैक्षिक योग्यता में शिथिलता दिए जाने की छूट दी गई है। याची के अधिवक्ता आईएस तोमर का कहना है कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सहायक अध्यापक की योग्यता टीईटी पास करना अनिवार्य किया गया है। केंद्रीय कानून के खिलाफ राज्य सरकार को बिना टीईटी पास किए स्नातक शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक नहीं बनाया जा सकता। एनसीटीई की तरफ से अधिंवक्ता रिजवान अली अख्तर बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से एके यादव ने पक्ष रखा। कोर्ट में तर्क दिया गया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने योग्यता नियमों को शिथिल करने की राज्य सरकार को छूट दी है। उत्तराखंड राज्य सरकार ने भी शिक्षामित्रों के समायोजन किया है। याची की तरफ से कहा गया कि केंद्रीय कानून के खिलाफ राज्य सरकार को कानून बनाने का अधिकार नहीं है।
प्रदेश सरकार ने 30 मई 14 को उत्तर प्रदेश नि:शुल्क और अनिवार्य बाल्य शिक्षा का अधिकार (प्रथम संशोधन) नियमावली 2014 एवं उ.प्र. बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा 19वां संशोधन नियमावली 2014 में संशोधन कर शिक्षामित्रों को बिना टीईटी पास किए सहायक अध्यापक बनाने की छूट दी है। टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ नियुक्ति करने का राज्य सरकार को अधिकार नहीं है। कोर्ट इस मुद्दे व नियमावली की वैधता पर उठाए गए सवालों की 19 जून 14 को सुनवाई करेगी
News Source / Sabhaar : Jagran (17.06.2014)
As per the norms sikshamitra appointed as only attendent in primary education for the teacher to aware the rural person and carry the children to school to improve the primary education systemlike aganwadikakryakaktri so they are not appointed as assistant teacher ncte guide line says that only untrained teachers who appointed before 2010aug hving relaxation in tet so if sm is not completeted their btc before 2010 so how can gov appoint them teacher because they are getting essential qualification after the date and changing the defination of sm post vs. Ass. Teacher
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