क्या समानता देता है - शैक्षणिक आधार पर चयन ?
( Does Acadmic Based Selection Gives Equal Opportunity to All)
काफी समय से यू पी में शैक्षणिक आधार पर चयन हो रहा था जिसमें लगातार यू पी बोर्ड के अभ्यर्थी पिछड़ रहे थे
साथ ही प्राइवेट यूनिवर्सिटी / कोलेज अंकों के आधार पर चयन के लिये वरदान साबित हो रहे थे | फर्जी मार्कशीट की ख़बरें भी आये दिन आती रहती थी |
कुछ परिणामों पर नजर :
हाल ही में आई सी एस ई बोर्ड के परिणाम आये हैं और लगभग शत प्रतिशत परिणाम गया है , बहुतेरी संख्या में छात्रों ने ९९ प्रतिशत से ज्यादा अंक प्राप्त किया हैं
बिहार में टी ई टी परीक्षा का परिणाम ५ प्रतिशत से भी कम रहा है , सी टी ई टी परीक्षा का परिणाम लगभग इतना ही गया है जबकि यू पी में ये लगभग ५० प्रतिशत है
क्या शिक्षकों के चयन के लिये सी. टी. ई. टी. व यूपी टीईटी की सयुंक्त मेरिट पूरे देश भर में बनाई जाये तो क्या ये सही रहेगा |
इस प्रकार ज्यादातर सी. टी. ई. टी. वाले सेलेक्शन से बहार हो जायेंगे , जबकि बहुत से यूपी टीईटी पास , सी. टी. ई. टी. पास नहीं कर सके
लेकिन यू पी बोर्ड के अभ्यर्थी सालों से अपने प्रदेश में ही लुटते आये हैं | ज्यादातर सरकारी अधिकारिओं के बच्चे सी बी एस ई / आई सी एस ई बोर्ड में पड़ते हैं और गाँव के गरीब छात्र यू पी बोर्ड में पड़ते हैं |
देश में अधिकांश अधिकारी स्तर के इंटरविउ अंग्रजी माध्यम में होते हैं और ग्रामीण परिवेश का अभ्यर्थी हिंदी माध्यम व ग्रामीण परिवेश की वजह से पिछड़ता आया है |
इंटरविउ में कोई विडियो ग्राफी नहीं होती और मनचाही व्यवस्था होती है
वास्तव में शेक्षणिक मेरिट की मांग बेहद नाजायज है |
हर निर्धारित पद के लिये एप्टीटीउड टेस्ट होता है और ये समय समय पर गुणवत्ता के लिये कराया जाते रहना चाहिए |
ये सभी अधिकारी / नेता वर्ग के लिये होना चाहिए और निर्धारित योग्यता न रख पाने पर बहार का रास्ता दिखा देना चाहिए
करप्शन में लिप्त पाए जाने पर तो जरूर ही बहार का रास्ता दिखाना चाहिए और उपयुक्त सजा भी दी जानी चाहिए जिससे ऐसी गलती दोहराही न जा सके
देश को जोड़ने के लिये एक राष्ट्र भाषा होनी चाहिए ( वास्तव में भाषा का उपयोग संवाद / कम्युनिकेशन के लिये है ) लेकिन अंतर राष्ट्रीय बिरादरी से जुड़ने और अनेक नए अवसरों के लिये इंग्लिश बेहद जरूरी
भाषा है |
और देश का पड़ा लिखा वर्ग इसको जानता है और ग्रामीण परिवेश का व्यक्ति अपनी मिटटी से जुड़े होने की पहचान / सामाजिक परिवेश आदि के कारण अंगरेजी की महत्ता को समझ नहीं पाता|
सभी के लिये समान अवसरों को देखते हुए सरकार को ग्रामीण इलाकों में इंग्लिश में वार्तालाप जैसे कोर्स कराये जाने बेहद आवश्यक हैं |
पूरे देश के लिये एक समान शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए और केंद्र सरकार इसके लिये उपयुक्त एजेंसी के तौर पर कार्य कर सकती है | देश को जोड़ने की आवश्यकता है न की तोड़ने की |
देश आज भी जाति -उप जाति / क्षेत्र / धर्म /भाषा आदि में बंटा हुआ है और बंटता ही जा रहा है | इसका फायदा उठाने के लिये आजके नेता , अंग्रेजों की तर्ज पर बांटो और राज करो का नियम का अनुसरण करने में लगे हुए हैं
योग्य व्यक्ति , योग्य होता हुए भी अयोग्य हो जाता है |
इस सिस्टम में उसका अस्तित्व कहाँ खो जाता है पता ही नहीं चलता |
धन्य हो इंटरनेट और अंगरेजी भाषा का , जिसने हम सबको जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और पूरे संसार को एक सूत्र में पिरोने / जोड़ रही है |
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