UPTET / Allahabad Highcourt : टी.ई.टी.-उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की उम्मीदों पर लम्बे इंतज़ार का साया
(साभार: राजेश राव जी, टी.ई.टी.संघर्ष मोर्चा सदस्य, इलाहाबाद)
Case (76039/2011 ) Hearing Details :
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में दिनांक 29/30 नवम्बर 2011 तथा दिनांक २ दिसंबर २०११ को जारी विज्ञापन द्वारा प्रारंभ 72825 प्रशिक्षु प्राथमिक अध्यापकों की भर्ती-प्रक्रिया पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा यादव कपिलदेव लालबहादुर द्वारा दायर याचिका स. 76039/20111 के जरिये तकनीकी आधार पर 4 जनवरी 2012 को दिए गए स्थगनादेश से इस भर्ती-प्रकिया पर लगे ग्रहण के आज समाप्त होने के न सिर्फ आसार समाप्त हुए बल्कि न्यायालय के द्वारा मामले के आगामी सत्र के पूर्व निस्तारण और और खाली पड़े पदों पर नियुक्तियों की सम्भावना समाप्त हो जाने से प्रदेश की शैक्षणिक व्यवस्था की सक्षमता और प्रदेश के करोडो नौनिहालों के शिक्षा के अधिकार के प्रति प्रदेश की विधायिका, कार्यपालिका के साथ साथ न्याय-पालिका की संवेदनशीलता की कलई भी सरे-आम खुल गई है.
जनवरी 2011 से, अर्थात पिछले 5 महीनो से प्रक्रिया के शुरू होने की उम्मीदें लगाये बैठे लगभग पौने दो लाख अभ्यर्थियों और उनके लाखो परिजनों पर इस संवेदनहीन व्यवस्था ने अपनी निष्क्रियता से जो कुठाराघात किया है, उसे ये शायद ही कभी भुला सके.
आज सुबह जब जज श्री अरुण टंडन पीठासीन हुए तो सभी सम्बंधित पक्षों के वकीलों ने इस केस की गंभीरता, इसके निर्णय से हो रही देरी से न सिर्फ अभ्यर्थियों बल्कि उनके परिवारों तथा प्रदेश की शैक्षणिक व्यवस्था और शिक्षा के अधिकार के उद्देश्यों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का हवाला देते हुए उनसे केस को सुनने का अनुरोध किया तो उन्होंने अपनी व्यस्तता का हवाला देते हुए इसे 3 जुलाई 2012 को सुनने को कहा.
मध्यावकाश से पहले गंगा-प्रदूषण से सम्बंधित किसी जनहित याचिका की सुनवाई होती रही एवं मध्यावकाश के बाद वे अदालत में बैठे ही नहीं. उनके उठने के समय भी सभी पक्षों द्वारा एक बार पुनः उनसे इस मामले की सुनवाई आज या फिर शीघ्र किसी तिथि में सुनने की गुजारिश की गई पर उन्होंने इसमें कोई रूचि न लेते हुए अपनी पहले वाली बात इस अंदाज़ में दोहराई जिस से प्रथमतया ऐसा लगा जैसे कि वे जान-बूझकर इस मामले को निस्तारित नहीं कर रहे हैं.
गौरतलब है कि इस मामले में हो रही देरी से इस प्रक्रिया को बचने के के लिए हमारे २ भाइयों ललित मोहन सिंह व रंजीत सिंह यादव द्वारा दायर स्पेशल लीव पेटीशन 280/2012 के निर्णय में हाईकोर्ट की डबल बेंच ने स्पष्ट किया था कि चूँकि इस मामले का निस्तारण एकल बेंच के सामने 9 अप्रैल 2012 को प्रारंभ हो रहे हफ्ते में संभावित था, इसलिए इस मामले की अलग से सुनवाई की जरुरत से इंकार किया था पर इस मामले की गंभीरता को रेखांकित करते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा था कि एकल बेंच को मामले की महत्ता को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द इस मामले का निस्तारण करना चाहिए.
इसके बावजूद जिस प्रकार इस मामले में तारिख पे तारीखें दी जा रही हैं तथा जिस प्रकार से 25 मई 2011 को शुक्रवार मध्यावकाश के बाद पहले नंबर पे तारिख दी गई, जबकि सामान्य कोर्ट प्रैक्टिस के अनुसार शुक्रवार को मध्यावकाश के बाद का समय डबल बेंच द्वारा सुनवाई के लिए निर्धारित होता है. क्या ये सब मात्र अभ्यर्थियों के लिए भारी पड़ने वाले दुर्भाग्यपूर्ण संयोग हैं या फिर मामले का राजनीतिकरण, सरकार द्वारा अंदरखाने खेला जा रहा खेल या फिर न्यायपालिका पर दबाव, ये सब सवाल सतह पर आ रहे हैं.
इस सारे प्रकरण से असंतुष्ट टी.ई.टी. संघर्ष मोर्चा के लगभग 50 सदस्य इस मामले की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए इसकी शीघ्र सुनवाई की मांग का ज्ञापन लेकर चीफ जस्टिस से शाम को उनके बंगले पर मिलने गए पर उन्होंने इस मामले को कोई महत्त्व न देते हुए साफ-साफ 2 जुलाई तक इंतज़ार करने की सलाह थमा दी.
उनके अनुसार तमाम केस ग्रीष्मावकाश में जैसे प्रतीक्षारत रहते हैं वैसे ही इस मामले में होना है. उनके स्टाफ ने न सिर्फ यह ज्ञापन लेने से इंकार किया बल्कि हमारे साथियों को रुखे सुर में ऐसा कोई ज्ञापन हाईकोर्ट कार्यालय में देने को कहते हुए रवाना कर दिया.
वहां से पूर्णतया निराश हमारे साथी जब हाईकोर्ट कार्यालय पहुचे तो वह भी उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिला बल्कि वहां से भी उन्हें केवल और केवल निराशा ही हाथ लगी.
इस प्रकार पिछले 5 महीनो से न्यायालय से न्याय की आशा लगाये अभ्यर्थियों को न्यायालय से आज भी न्याय नहीं, सिर्फ प्रतीक्षा का चिर-परिचित दंश मिला. इसका मतलब यह नहीं की हार मानकर बैठ जाने की स्थिति आ गई है. साथियों, निश्चय यह स्थिति निराशा पैदा करने वाली है, निश्चय ही, इसने आपकी आशाओं पे गाज गिराई है, निश्चय ही आप अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे होंगे, पर आप अपने आप पे भरोसा रखे, अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत रखें, हर हार को नयी चुनौती मानकर उसका सामना नई ताकत और नए हौसले के साथ करें, आप जरूर कामयाब होंगे.
हमारे साथी, हमारे अग्रणी सदस्य लगातार एक-दूसरे के संपर्क में हैं और इस कोशिश में हैं कि हम इस जून भर में कुछ ऐसा कारनामा कर डालें कि हमसे भी ज्यादा बेताबी से सरकार 3 जुलाई की प्रतीक्षा करे कि कब यह तारिख आये और कब उसे टी.ई.टी. वालों से चैन मिले,
हम ऐसा कुछ करने की कोशिश में हैं जिस से न सिर्फ हम कानूनी तौर पे अपनी लड़ाई लादेन बल्कि प्रदेश के कोने-कोने में ऐसे तरीके से अपना विरोध-असंतोष प्रगट किया जाये जिसकी गूँज देश भर में सुनाई दे.
इसके विवरण सभी साथियों तक शीघ्र ही पंहुचा दिए जायेंगे पर अंत में आप सब से अनुरोध है कि यह यज्ञ केवल चंद आहुतियों से नहीं पूरा होगा, इसमें हार अभ्यर्थी को शामिल होना पड़ेगा, किनारे खड़े रहकर चंद बहादुरों को लड़ाने वाली कौमे लड़ाइयाँ नहीं जीता करती. अपने जीदार साथियों की दमदार लड़ाई को आपने 29/30/31 मई को उनकी लाख बहादुरी के बावजूद अगर लखनऊ की सड़कों पे दम तोड़ते देखा है तो केवल इसलिए कि इस लड़ाई में उनके अपनों ने ही उन्हें उनके हाल पे छोड़ दिया था,
उनका साथ देने में कोताही की थी, यकीन जानिए, अगर आप में से चौथाई भी उनका साथ देते तो आज शायद डेट नहीं, फैसला मिलता. जिन्हें विश्वास न हो रहा हो, उनके लिए आप से कमतर, कम काबिल शिक्षामित्रों का उदहारण सामने है. यह सब मैं आपको नीचा दिखाने के लिए नहीं, आपको अगली लड़ाई के लिए तैयार करने के लिए कह रहा हूँ ताकि आपकी अगली लड़ाई में कामयाबी आपके हाथ लगे.
आपका श्याम देव मिश्रा, मुंबई.
घर मेँ सोने से और फोन पर समाचार लेने से यही परिणाम प्राप्त होता है।
ReplyDeleteअब हमे इस सरकार से सबक ले और भविश्य मे एसी गलती करने से बचे , इसीलिए कहा जाता है कि अपना मतदान अच्छे लोगो को दे , जो आपकी बातो को तत्परता से सुने और उसका निराकरण यथोचित प्रकार से करे ।
ReplyDeleteइसलिए आज हम प्रण करे कि इस अन्धि ,बहरी,कामचोर सरकार को वोट न करे। चाहे जिसे भी अपना वोट दे लेकिन इस सरकार को वोट न दे।
ok
ReplyDeletesarkar ko is bharti ko karne k liye majboor karne ka ek ye hi tareeka hai ki KISI TARAH SHIKSHA MITRON KO BHARTI & PARMANENT KARNE SE ROK DIYA JAY...... AND iske liye NCTE se ek sawal pucha ja sakta hai ki agar B.Ed. kiye hue candidate teacher ki post k liye yogya nahi hain to shikshamitra kis adhar par teacher banne yogy hain..... jabki ek shikshamitra 12th pas karke bachcho ko padana shuru kar deta hai.... kis adhar par use bachcho ko padane k yogy samajh liya jata hai.... 12th pas shiksha mitra jo ki apne future tak ko samajhne layak nahi hota wo chote bachcho ki psychology ko samajhne yogy kis adhar par ho jata hai..... kis adhar par graduate and 12tha pass ko teacher banne yogy samajh liya jata hai....?
ReplyDeletesarkar ko is bharti ko karne k liye majboor karne ka ek ye hi tareeka hai ki KISI TARAH SHIKSHA MITRON KO BHARTI & PARMANENT KARNE SE ROK DIYA JAY...... na teacher kisi bhi tarah uplabdh na hone ki condition me sarkar ko ye bharti karni hi padegi AND iske liye NCTE se ek sawal pucha ja sakta hai ki agar B.Ed. kiye hue candidate teacher ki post k liye yogya nahi hain to shikshamitra kis adhar par teacher banne yogy hain..... jabki ek shikshamitra 12th pas karke bachcho ko padana shuru kar deta hai.... kis adhar par use bachcho ko padane k yogy samajh liya jata hai.... 12th pas shiksha mitra jo ki apne future tak ko samajhne layak nahi hota wo chote bachcho ki psychology ko samajhne yogy kis adhar par ho jata hai..... kis adhar par graduate and 12tha pass ko teacher banne yogy samajh liya jata hai....?
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