Tuesday, July 17, 2012

UPTET : शैक्षिक प्रमाण पत्रों की मेरिट को न माना जाए आधार

UPTET : टीईटी छात्रों को छल रही प्रदेश सरकार

खमरिया (भदोही): टीईटी योग्यताधारी छात्रों की बैठक मनऊबीर खमरिया में मंगलवार को हुई। इसमें प्रदेश सरकार पर टीईटी छात्रों के साथ छलावा करने का आरोप लगाया गया।


वक्ताओं ने राज्य सरकार से चार प्रमुख बिन्दुओं पर विचार कर निर्णय लेने की मांग उठाते हुए कहा कि टीईटी की नियुक्ति उसी विज्ञापन पर मेरिट के आधार पर की जाय। साथ ही कोर्ट के आदेशों को संज्ञान में लेकर तत्काल कार्रवाई करने व प्रदेश व्यापी प्रदर्शन के 12 छात्रों को बिना शर्त रिहा करने की मांग की। कहा कि अंतरजनपदीय स्थानांतरण आदेश के बाद जिले में तैनात करीब चार सौ शिक्षिकाओं ने गृह जनपद के विद्यालयों की राह पकड़ ली है। इस समय जिले में 663 प्रा.वि व 346 पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में पहले से ही एक हजार शिक्षकों की कमी रही है जो और बढ़ गई है। बैठक में सुलभ कुमार मौर्य अमित कुमार मौर्य, हेमंत, अखिलेश, विनोद यादव, कैलाशनाथ, ओमप्रकाश मौर्य, विजय कुमार यादव, नीतू मौर्य, श्वेता, सरिता, अनिता व ज्ञानप्रकाश मौर्य व अन्य थे


News Source : http://www.jagran.com/uttar-pradesh/bhadohi-9479958.html / Jagran (17.7.12)
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UPTET : शैक्षिक प्रमाण पत्रों की मेरिट को न माना जाए आधार

•प्रमुख सचिव के सुझाव से टीईटी उत्तीर्णों में रोष 
मैनपुरी। प्रमुख सचिव जावेद उस्मानी के शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को शैक्षिक प्रमाण पत्रों की मेरिट के आधार पर कराने के सुझाव को लेकर टीईटी उत्तीर्णों में असंतोष व्याप्त है। उनका कहना है कि टीईटी परीक्षा की मेरिट को आधार बनाकर शिक्षकों की भर्ती की जाए। शैक्षिक प्रमाण पत्रों की मेरिट से कई योग्य युवाओं का शिक्षक बनने का सपना पूरा नहीं होगा
टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी भोले भदौरिया का कहना है कि मुख्य सचिव का सुझाव मेहनत से टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों के हित में नहीं है। मुख्यमंत्री को टीईटी परीक्षा की मेरिट को आधार मानकर शिक्षकों की भर्ती करनी चाहिए। जया मिश्रा का कहना है कि यदि सरकार को पुरानी भर्ती प्रक्रिया ही रखनी थी तो टीईटी परीक्षा ही क्यों कराई गई
नीलेश त्रिपाठी का कहना है कि युवा मुख्यमंत्री को टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की भावना को समझते हुए शैक्षिक भर्ती प्रक्रिया में टीईटी की मेरिट बनानी चाहिए। अजय मिश्रा का कहना है कि यदि सरकार पिछली सरकार के निर्णय के विरुद्ध ही कार्य करना चाहती है तो सरकार को राजस्थान सरकार की तरह से टीईटी अभ्यर्थियों का एक और योग्यता टेस्ट कराना चाहिए, जिससे योग्य शिक्षक ही शिक्षा के क्षेत्र में आ सकें। शिवओम सिंह चौहान का कहना है कि टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी पूर्व और वर्तमान सरकार के निर्णय के बीच में फंसे हैं। टीईटी उत्तीर्णों की परेशानियों को समझते हुए सरकार को मेरिट के आधार पर चयन करना चाहिए
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टीईटी अभ्यर्थियों ने दिया धरना
बीसलपुर। नगर के टीईटी अभ्यर्थियों ने 12 जुलाई को लखनऊ में अपने साथियों पर किए गए बर्बरता पूर्वक लाठीचार्ज के विरोध में सोमवार को अंबेडकर पार्क में धरना दिया। धरने पर सुधांशु मिश्रा, अफसर मियां, दिलीप कुमार, कामता प्रसाद, हरपाल सिंह, रण विजय, नरायन लाल, कामता प्रसाद, दिलीप कुमार, संतोष कुमार मौर्य, जयपाल गंगवार, वीरेंद्र कुमार, रवि सक्सेना, रवि गंगवार, राजेंद्र कुमार और हरिओम गंगवार आदि अभ्यर्थी बैठे।
धरना स्थल पर हुई बैठक में तय किया गया कि प्रदेश कोर कमेटी के आवाहन पर जिले भर के टीईटी अभ्यर्थी 17 जुलाई को नेहरू पार्क पीलीभीत में एक दिवसीय अनशन करेंगे। अपरान्ह चार बजे धरना खत्म कर दिया गया।
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टीईटी मोर्चा दो फाड़!

•एक कर रहा सपा की भर्त्सना, दूसरा सराहना
•एक दिन मेंेे हो रही दोनों की अलग-अलग बैठकें

हरदोई। उनकी सबकी मांगे एक ही थी और सपना था शिक्षक बनने का। इसी सपने को लेकर कदम से कदम मिलाकर एक साथ चलते व आवाज बुलंद करते नजर आ रहे थे, पर उनकी आवाज अभी ठीक तरह से सुनकर सरकार फैसला भी न ले पाई थी कि यही अभ्यर्थी दो हिस्सों में बंट गए।
एक ही दिन अलग-अलग हो रही बैठकों में एक सरकार की भर्त्सना कर रहा, तो दूसरा सराहना। लोगों में इस बात को लेकर चर्चा रही कि यदि यही हाल रहा तो टीईटी का भविष्य क्या होगा। टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की एक बैठक स्थानीय शहीद उद्यान में संपन्न हुई, जिसमें बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति शैक्षिक मेरिट के आधार पर करने की बात कही गई। बैठक में सर्वसम्मति से शोभित सिंह तोमर को जिलाध्यक्ष बनाया गया। बैठक को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि सरकार शीघ्र ही शैक्षिक मेरिट के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति करें।
जिससे टीईटी अभ्यर्थियों के साथ न्याय हो सके
विनय सिंह ने कहा कि टीईटी को पात्रता परीक्षा मानकर सरकार शीघ्र शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को प्रारंभ करें। टीईटी उत्तीर्ण मानसिक पीड़ा से गुजर रहे हैं। अंत में सभी ने एक स्वर में सीएम अखिलेश यादव की सराहना की। इस मौके पर मनीष मिश्र, सुधीर अवस्थी, निर्मल वैश्य, बाल मुकुंद सिंह, दुर्गेश सिंह, आनंद विशारद आदि मौजूद थे। उधर, इसी क्रम में टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष अवनीश यादव ने कहा कि सत्ता के नशे में चूर प्रदेश सरकार ने जिस तरह साजिश करके टीईटी मेरिट से अपनी नियुक्ति की मांग कर रहे होनहार युवा शिक्षकों पर लाठीचार्ज किया है वह घोर निंदनीय है।
टीईटी उत्तीर्ण सरकार से यह मांग करते हैं कि जल्द ही निर्दोष साथियों पर लगाई गई झूठी धाराए वापस लेते हुए उनको छोड़ा जाए और शिक्षक भर्ती को शुरू करें।
अन्यथा सभी सामूहिक आत्मदाह को मजबूर होंगे। 17 जुलाई को सभी 10 बजे कंपनी बाग में बैठक करने के बाद सीएम को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौपेंगे। इस मौके पर आशुतोष शुक्ल, सतीश सिंह, अनुज कुमार, विद्याराम, सुमित कुमार, राजीव पांडे आदि मौजूद थे।
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17 को प्रदर्शन करेंगे
लाठीचार्ज को लेकर भड़के टीईटी अभ्यर्थी

मुजफ्फरनगर/शामली। मुजफ्फरनगर और शामली जिला मुख्यालय पर टीईटी अभ्यर्थी लखनऊ में हुए लाठीचार्ज के विरोध में 17 जुलाई (कल) टाउन हॉल में धरना प्रदर्शन करेंगे।
टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा की बैठक में लखनऊ में टीईटी अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा की गई। रविवार को कार्यालय पर हुई बैठक में जिलाध्यक्ष बलकेश चौधरी ने कहा कि प्रदेश सरकार टीईटी उत्तीर्ण छात्रों को शिक्षक बनने का मौका नहीं दे रही है। उन्होंने लखनऊ में गिरफ्तार किए गए टीईटी अभ्यर्थियों को तुरंत रिहा किए जाने की मांग की। अरविंद गिरि, अलंकार शर्मा, नवीन, महेंद्र सैनी, नईमुद्दीन, सुनील पंवार, भारत, अंकुर शर्मा, नदीम, सुषमा और रजनी मौजूद रहे।
शामली में भी श्री मंदिर हनुमान धाम पर टीईटी संघर्ष मोर्चा की बैठक में 17 जुलाई को प्रबुद्धनगर जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया। रवि शर्मा, आफताब, प्रदीप, जावेद जंग, प्रवीण, सुमित, दीपक, प्रवेश, सुुधीर, अनिल मौजूद रहे
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टीईटी अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज निंदा

सहारनपुर। टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर रविवार को गांधी पार्क में बैठक कर अभ्यर्थियों ने लखनऊ में लाठीचार्ज किए जाने की निंदा की। साथ ही प्रदेश सरकार से इस प्रकरण में जिन अभ्यर्थियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं, उन्हें बिना शर्त वापस लिए जाने और जेल भेजे जाने वालों को रिहा करने की मांग की
मोर्चा अध्यक्ष संजय कुमार और संरक्षक प्रदीप धीमान ने कहा कि लखनऊ में अभ्यर्थियों के विरोध और जाम के कारण जनता को परेशानी तो हुई, लेकिन अपना दुख जाहिर करने के लिए उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं था। अभ्यर्थियों ने इससे पहले एक या दो बार नहीं बल्कि छह बार शांतिपूर्वक मांगें रखने के प्रयास किए, मगर उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।
इस बार अभ्यर्थी आश्वासन की बजाय सरकार से टीईटी मेरिट आधार पर ही शिक्षकों की नियुक्तियां करने की मांग कर रहे थे। सरकार को उनकी मांगों को जल्द पूरा कर लाठीचार्ज के शिकार हुए अभ्यर्थियों को राहत देनी चाहिए। अनिल कुमार, हरिपाल सिंह, रूपचंद, प्रवेश कुमार, मांगेराम, आवेश कुमार मौजूद रहे



न्यूज़ साभार  : Amar Ujala (16/17.7.12)

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मुझे ये समझ नहीं आता कि - 
चयन का आधार बदलने से धांधली कैसे ख़त्म हो जायेगी | अगर चयन का आधार बदल जाता है तब तो मामला और पेचीदा हो जाएगा , कई टी ई टी अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट तक जाने की बात कह रहे हैं , ऐसे में तो पूरी चयन प्रक्रिया बाधित हो जायगी | इस बारे में कोई तार्किक रूप से बताये और ऐसे सुझाव ब्लॉग पर इस लेख के साथ पब्लिश कर दिए जायेंगे 

हालाँकि अगर चयन का आधार आगामी भर्ती के लिए बदला जा रहा है , मसलन - आगामी ८० हज़ार प्राथमिक शिक्षको के पदों के लिए , जो कि इस सत्र से बेसिक शिक्षा विभाग में उपलब्ध हो गयी हैं या ३५ हज़ार उच्च प्राथमिक शिक्षको के पदों के लिए ( पदों की संख्या कम ज्यादा भी हो सकती है , परन्तु हाल में उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से २.८६ लाख शिक्षको के लिए भर्ती समय सीमा २०१५ तक की मांग की थी )
आर टी ई के तहत ही    पद २०१२ तक हैं , साथ ही काफी सारे शिक्षक सेवा निवृत भी हो रहे हैं |
तब तो शायद कोई समस्या न आये |

मेरा  व्यक्तिगत  रूप से सोचना  है कि -
अब यू पी टी ई टी  के सामने २ ही रस्ते   हैं - 1. टी ई टी परीक्षा  निरस्त  हो   या फिर २.  अगर टी ई टी निरस्त नहीं होती  तब चयन का आधार टी ई टी मृत ही हो सकता  है क्योंकि  हाई कोर्ट पहले  ही कह चुका है कि गेम    के रूल , गेम शुरू  होने  से पहले बनाये  जाते  हैं उसके  बाद  नहीं| हालाँकि परीक्षा निरस्त होना भी बेहद मुश्किल है क्योंकि अभ्यर्थीयों  के पास अपनी बेगुनाही का सबूत - ओ एम् आर की कॉपी  भी है और 
सारे टी ई टी पास अभ्यर्थी बेईमान नहीं हो सकते | अभी तक एक भी बेईमान अभ्यर्थी का नाम सामने नहीं आया , कुछ ठगी के मामले सुने गए हैं परन्तु आरोप सिद्द हो पाए कि नहीं , अभी तक कुछ इस बारे में खबर नहीं आयी |

अब आये दिन  ब्लॉग पर तर्क  आते  हैं कि - चयन का आधार -
अकादमिक  वालों  की बात सुने तो   -
हाई स्कूल  + इंटर  + ग्रेजुएसन   + बी  एड  
ग्रेजुएसन + बी एड + टी ई टी ( क्योंकि यू पी  बोर्ड vale सी बी एस ई बोर्ड वालों से tulnatmak रूप से कम ank paate हैं )
बी  एड  + टी ई टी 

हर अभ्यर्थी की मांग उसके मुताबिक  है
हालाँकि यू पी बोर्ड  वालों की स्थिति  को  तो  केंद्र  सरकार ने भी ध्यान  में रखते  हुए  आई  आई टी प्रवेश  में - 65% यू पी बोर्ड कट  ऑफ  = 78% सी  बी एस  ई बोर्ड कट ऑफ 
(इससे पहले भी स्कोलरशिप आदि देने में यू पी बोर्ड के कम अंको को , सी बी एस ई / आई सी एस ई बोर्ड का अधिक अंको की बराबरी दी गयी , अर्थात स्केलिंग पद्दति से चुनाव किया गया )
और अगर इस ब्लॉग पर पोलिंग  को देखा  जाये  तो पता  चलता  है कि - साडे  चार  हज़ार लोगो  ने टी ई टी मेरिट  से चयन  का समर्थन  किया है और लगभग  1000 लोगो ने अकेडमिक  मेरिट से चयन का समर्थन  किया  है |
बहुत से अकादमिक मेरिट चाहने  वाले  अभ्यर्थी भी समझ रहे हैं कि अगर चयन का आधार बदला तो मामला बेहद पेचीदा हो जाएगा और भर्ती कई सालों  तक लटक  सकती है अगर विवाद  सुप्रीम कोर्ट चला  जाये तो 

अब अगर आगे दोबारा टी ई टी परीक्षा होती है और सी टी ई टी / बी ई टी ई टी की तरह उत्तीर्ण प्रतिशत ४-५ प्रतिशत आता है या अगर कई अभ्यर्थी ओवर एज हो जाते हैं तो भी बहुत सारे अभ्यर्थीयों को नोकरी से वंचित होना पड़ सकता है |
एक हल ये भी हो सकता है कि - या फिर इस भर्ती यू पी टी ई टी २०११ परीक्षा से टी ई टी मेरिट आधार पर  हो और उसके बाद दोबारा स्क्रीनिंग परीक्षा करा कर अयोग्य अभ्र्थीयों को बहार किया जाये



टी ई टी परीक्षा विशेषकर कक्षा १ से ५ तक के शिक्षकों के लिए एक योग्यता परिक्षण था और कोई विशेष विषय के विशेषज्ञ के लिए नहीं |
मान लीजिये कोई इतिहास का प्रकांड पंडित है , परन्तु वह कक्षा १ से ५ तक के छात्रों की समस्या हल नहीं कर सकता , तब क्या ऐसे शिक्षकों का चुनाव करना ठीक होगा |
और यही कारण होगा कि - एन सी टी ई ने टी ई टी अंकों को चयन में महत्व देने की बात कही है |
आप लोगो ने रामानुजम और आइन्स्टीन के बचपन के बारे में नहीं पड़ा होगा या ३ इडीयट मूवी नहीं देखी होगी |
यह  शेक्षणिक मनोविज्ञान के महत्व को बताता है | और टी ई टी जैसी परीक्षाएं  अच्छे  शिक्षकों के चुनाव के लिए बेहद जरूरी है 


ये भी तो हो सकता है कि - ७२८२५ की भर्ती अदालत के आदेश तक सुरक्षित रख ली जाए और नए नियम आगामी / अतिरिक्त ८० हज़ार प्राथमिक व लगभग ३५ हज़ार उच्च प्राथमिक शिक्षको के लिए हो |
इसलिए कुछ भी  बिना सरकारी आदेश / नए नियमों देखे बिना गलत होगा 
आप लोगो के सुझाव आमंत्रित है , पर वे तर्क आधारित होने चाहिए 

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