An Article by Blog Visitor (Mr. Shyam Dev Mishra ) regarding UPTET (Uttar Pradesh Teacher Eligibility Test )
प्रेषक: Shyam Dev Mishra <shyamdevmishra@gmail.com>
दिनांक: 5 अप्रैल 2012 1:36 am
विषय: Matter for publishing on blog
प्रति: Muskan India <muskan24by7@gmail.com
प्रिय मित्रों,
टी.ई.टी. व भर्ती-प्रक्रिया से सम्बंधित मेरे लेख को मिले आपके भारी समर्थन (आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आपके ब्लॉग पर 01.04.2012 को दिए लिंक के माध्यम से मात्र 1 दिन में 1005 लोगो ने मेरे इस लेख को ऑनलाइन पढ़ा) से प्रोत्साहन पाकर मैंने इस मुहिम में अपनी छोटी-सी हस्ती और अल्पबुद्धि के अनुसार और आगे तक आपका साथ देने की हिम्मत की है.
प्रदेश के लाखों टी.ई.टी. उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का संघर्ष अभी और लम्बा चलेगा. मुख्यमंत्री से होने वाली वार्ता के माध्यम से यदि सरकार की टी.ई.टी. निरस्त करने और 72825 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के आधार को बदल देने की तैयारियों पर पूर्णविराम लग जाता है तथा न्यायालय में मजबूत पैरवी के द्वारा स्थगनादेश हटवाकर भर्ती-प्रकिया को शीघ्र शुरू करने पर सहमति बन जाती है तो वाकई में अखिलेश यादव "पुस्तक-परीक्षा वाली पार्टी की सरकार" का बदनुमा दाग हटाने में सफल हो जायेंगे तथा लाखो-करोडो लोग उनपर भरोसा करने के अपने फैसले को सही मानेगे तथा शिक्षा का अधिकार अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति की राह पर प्रदेश आगे बढेगा.
पर आजकल जिस प्रकार के राजनेता और राजनीति हैं, और जिन परिस्थितियों में यह मुलाकात हो रही है, उनमे इस वार्ता से किसी सकारात्मक निर्णय की आशा करना अतिआशावादिता ही कही जाएगी. मुख्यमंत्री की अभी तक की गतिविधियों को ध्यान से देखें तो वो भी अन्य नेताओं की शैली को ही दोहराते हैं. जंग जीतने के तरीके भले ही नए-अनूठे इजाद किये जाएँ पर जंग जीत कर राज करने के तरीके वही सदियों से वही रहे हैं और अखिलेश यादव जी भी कोई अपवाद प्रतीत नहीं हुए, कम से कम इस मसले पर तो नहीं ही हुए. प्रदेश के एक-एक नौजवान के वोट के लिए महीनो तक प्रदेश भर के गाँव-गाँव की धूल फांकने वाले अखिलेश यादव को आज इतनी फुर्सत न सही, इतना कर्तव्यबोध तो होना चाहिए था कि राजधानी में इतने दिनों तक गुहार लगाते, लाठियां खाते, दौडाए जाते, अनशन पे बैठे और अस्पताल में भर्ती हुए शिक्षित बेरोजगारों के लिए लिए दो मिनट निकल लेते. ध्यान दे कि इतने-धरना प्रदर्शन के बाद भी उनकी तरफ से न कोई आश्वासन दिया गया न ही स्वतः उनकी ओर से इस मसले पर कोई प्रतिक्रिया आई न ही उन्होंने आन्दोलनकारियों से मिलने की इच्छा जताई. वो तो डी. एम. ने कानून-व्यवस्था बनाये रखने के लिए आन्दोलनकारियों की उनसे वार्ता करने का आश्वासन देकर सर पर आई बाला को टाला है. मीडिया के सामने आम आदमी से जुड़ा होने का दिखावा करने के लिए मुख्यमंत्री-निवास के वाच-टावर पे चढ़कर संतरियों के हाल-चाल पूछना और फ्लश-मारते कैमरों के आगे जनता-दरबार में आम-आदमी का हमदर्द होने का दिखावा करना अलग बात है, आम आदमी का दर्द महसूस करना अलग बात है. अबतक के रवैये को देखते हुए कल भी आश्वासन के साथ कोर्ट के निर्णय और टी.ई.टी. स्टीयरिंग कमेटी के निर्णय तक इंतज़ार करने की नसीहत के सिवा अगर वाकई कुछ ठोस हाथ लगता है तो वाकई मुझे सार्वजनिक रूप से अपने एक-एक शब्द वापस लेने में भी हार्दिक प्रसन्नता होगी.
सरकार के हाथ में यकीनन बहुत कुछ होता है पर सबकुछ नहीं होता. वैसे एक बात ध्यान में रखें कि टी.ई.टी. निरस्त करने के निर्णय को चुनौती दिए जाने के मामले में कोर्ट केवल यही देखने वाला है कि क्या दोषियों को पकड़ने का, गलतियाँ/गड़बड़िया ढूंढकर सुधार करने का कोई तरीका नहीं? और क्या सरकार ने निरस्त करने का फैसला उपलब्ध जांच रिपोर्ट और अन्य क़ानूनी प्रक्रियाओ के आधार पर किया है? इन दोनों के साबित होने पर ही टी.ई.टी. निरस्त करने के फैसले को वैध माना जायेगा.
दूसरी बात है टी.ई.टी. के मेरिट के आधार भर्ती होने न होने की तो भर्ती अगर रद्द हुई तो सरकार नियमों में परिवर्तन कर फिर से नई प्रक्रिया प्रारंभ कर नए आधार पर चयन कर सकती है पर भर्ती-प्रक्रिया रद्द न होने की स्थिति में सरकार को मौजूदा नियमों के आधार पर ही भर्ती करनी होगी क्यूंकि प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद प्रक्रिया पूरी होने तक नियम नहीं बदले जा सकते. इसलिए मेरिट के मुद्दे पर हो रही बहस बेमानी है. भले ही कल होने वाली वार्ता में मौजूदा भर्ती में अकादमिक के आधार पर, या अकादमिक व टी.ई.टी. के आधार पर चयन की सहमति बन भी जाये तो कोर्ट में न सिर्फ यह फैसला घसीटा जायेगा बल्कि यह औंधे मुह गिरेगा भी. पर अगर टी.ई.टी. मेरिट के आधार पर सहमति बन जाती है तब तकनीकी खामियों को दूर कर मौजूदा प्रक्रिया के द्वारा रिक्तियां भरी जा सकती हैं क्यूंकि कोर्ट इस आधार वाले मुद्दे पर टी.ई.टी. के पक्ष में फैसला पहले ही सुना चुका है.
वैसे कल होने वाली वार्ता से एक फायदा यह हो सकता है कि यदि मुख्यमंत्री इस मुद्दे की बारीकियों को समझने को तैयार हुए और उन्होंने क़ानूनी पहलुओं पर अपनी सरकार और प्रशासन की मंशा की वैधता को मापने की कोशिश की तो उनके दृष्टिकोण का असर राज्य-स्तरीय टी.ई.टी. स्टीयरिंग कमेटी की आगामी बैठक (11.04.2012) में होने वाले निर्णय को अवश्य टी.ई.टी. और भर्ती-प्रक्रिया के पक्ष में प्रभावित कर सकती है. सच तो है कि अगर राज्य-सरकार वाकई में शिक्षा के उत्थान और शिक्षकों की भर्ती करना चाहती है तो मौजूदा परीक्षा और भर्ती-प्रक्रिया को जारी रखना ही एकमात्र विकल्प है. इस से इतर कोई भी फैसला केवल और केवल कानूनी पेचीदगियों में उलझ कर रह जायेगा.
इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए सभी को संगठित होकर लम्बी लड़ाई के लिए तैयार रहने की जरुरत है. कल वार्ता असफल या असंतोषजनक होने की स्थिति में मैं कल व्यक्तिगत रूप से अपने स्तर पर इस मुद्दे से सम्बंधित सभी निम्नलिखित पक्षों को रजिस्टर्ड पोस्ट द्वारा पत्र प्रेषित करूँगा:
1. माननीय मुख्यमंत्री महोदय, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ,
2. माननीय मंत्री महोदय, बेसिक शिक्षा, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ,
3. सचिव, बेसिक शिक्षा, उ.प्र. शासन व पदेन अध्यक्ष, उ.प्र. राज्य-स्तरीय टी.ई.टी. स्टीयरिंग कमेटी
4. राज्य परियोजना निदेशक, उ.प्र.सर्व शिक्षा अभियान व पदेन सदस्य, उ.प्र. राज्य-
स्तरीय टी.ई.टी. स्टीयरिंग कमेटी
5. शिक्षा निदेशक (माध्यमिक), उत्तर प्रदेश व पदेन सदस्य, उ.प्र. राज्य-स्तरीय टी.ई.टी. स्टीयरिंग
कमेटी
6. शिक्षा निदेशक (बेसिक), उत्तर प्रदेश व पदेन सदस्य, उ.प्र. राज्य-स्तरीय टी.ई.टी. स्टीयरिंग कमेटी
7. निदेशक, राज्य शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, उ.प्र., लखनऊ, व
पदेन सचिव, उ.प्र. राज्य-स्तरीय टी.ई.टी. स्टीयरिंग कमेटी
8. सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद्, उ.प्र., लखनऊ व पदेन सदस्य, उ.प्र. राज्य-स्तरीय टी.ई.टी. स्टीयरिंग
कमेटी
9. सचिव, माध्यमिक शिक्षा परिषद्, उ.प्र., लखनऊ व पदेन सदस्य सचिव , उ.प्र. राज्य-स्तरीय टी.ई.टी.
स्टीयरिंग कमेटी
10. माननीय केन्द्रीय मंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली
11. माननीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद्, नयी दिल्ली
12. माननीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, नई दिल्ली
चूंकि मेरे पत्र काफी विस्तृत है और उसके ज्यादातर बिन्दुओं से आप में से ज्यादातर मित्र अवगत ही हैं, मैं उसे यहाँ नहीं शामिल कर रहा हु, पर नए बिन्दुओं के लिए आप इस लिंक पर क्लिक कर पूरा पत्र पढ़ सकते हैं: http://www.scribd.com/doc/88011225/An-Open-Letter-to-All-Parties-Related-to-Uptet-2011-and-Recuitment-of-72825-Primary-Teachers-in-Uttar-Pradesh
इस पत्र में मेरे पिछले लेख में दिए गए बिन्दुओं के अलावा कुछ नए बिंदु भी हैं जिन्हें मैं इन सभी के संज्ञान में लाना चाहता हूँ ताकि इनमे से कोई कल को यह न कह सके कि इन्हें इस सम्बन्ध में कोई निर्णय, विशेषकर आगामी 11 अप्रैल 2012 को उत्तर प्रदेश राज्य-स्तरीय टी.ई.टी. स्टीयरिंग कमेटी द्वारा लिए जाने वाले निर्णय, होने से पहले स्थितियों से पूरी तरह अवगत नहीं कराया गया था क्यूंकि कई बार अधिकारिओं द्वारा सरकार-शासन को स्थिति की सही और पूरी जानकारी भी नहीं दी जाती. ये पत्र इस आशा से भी भेज रहा हूँ कि यदि इनमे से कोई भी इस मुद्दे पर गंभीर होगा तो मेरे पत्र में उठाये गए बिन्दुओं पर न सिर्फ खुले दिमाग से विचार कर उनकी वास्तविकता परखेगा बल्कि सही पाए जाने पर अपने मत, अपने अधिकार और अपने प्रभाव का इस्तेमाल अन्य पक्षों पर करके एक सही और न्यायपूर्ण समाधान पर पहुचने में सहायक होगा. साथ ही ये पत्र उन्हें चेतावनी भी देगा कि केवल मनमानी करने से स्थिति बिगड़ भी सकती है और इसके दुस्परिनाम न सिर्फ अभ्यर्थियों बल्कि प्रदेश और सरकार, दोनों को सालों तक भुगतना होगा क्यूंकि ऐसी स्थिति में कोई मौजूदा भर्ती से इतर कोई अन्य निर्णय कानून की अंतहीन उलझनों में उलझ कर रह जायेगा. यह इस सम्भावना पर भी पूर्णविराम न सही पर कुछ ही अंशों में अंकुश लगाएगा कि राज्य-सरकार केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और एन.सी.टी.ई. द्वारा अनुमति प्राप्त भर्ती और भर्ती-प्रक्रिया को और उनके दिशा-निर्देशों के अनुसार हुई अध्यापक पात्रता परीक्षा को बिना किसी ठोस कारण के केवल राजनैतिक दुर्भावनावश रद्द कर करने के बाद नयी भर्ती के लिए आसानी से अनुमति और समय-सीमा में विस्तार और नई टी.ई.टी. और नई भर्ती-प्रक्रिया की अनुमति आसानी से प्राप्त कर सकेगी.
मेरे पत्र से सम्बंधित कोई भी टिपण्णी या सुझाव जहाँ तक संभव हो, ब्लॉग पर ही प्रेषित करें ताकि बाकि सभी मित्र भी उनसे अवगत हो सकें.
इन पत्रों को मिलने वाले किसी भी प्रतिक्रिया से और इस दिशा में अपने प्रयासों से आपको समय-समय पर ब्लॉग के ही माध्यम से अवगत कराऊंगा.
फ़िलहाल मेरी ओर से अभी इतना ही,
धन्यवाद,
आपका
श्याम देव मिश्रा
shyam dev mishra ji mai apke vicharon se fully satisfied hu. aur asha karta hu ki iske baad sarkar ko hamare aage vivas hona padega.thanks!
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