Tuesday, April 17, 2012

UPTET : टीईटी : छूट का प्रावधान, फिर क्यों फरियाद? - नूरा कुश्ती


UPTET : टीईटी : छूट का प्रावधान, फिर क्यों फरियाद? -  नूरा कुश्ती 

सहारनपुर: कई राज्यों में टीईटी प्रक्रिया परवान नहीं चढ़ सकी है। केवल उत्तर प्रदेश ने केंद्र सरकार से मार्च 2015 तक बीएड डिग्रीधारकों के लिए समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है, जबकि टीईटी एक्ट में नियमों को शिथिल कर भ‌र्त्ती का अधिकार राज्य सरकार के पास है। नियमों के उलटफेर में उलझी प्रक्रिया के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह् लग रहा है।

प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में शिक्षकों की भ‌र्त्ती के मानक तैयार करने के लिए एनसीटीई द्वारा टीईटी को अनिवार्य किया गया है। हालांकि इसे पात्रता परीक्षा की श्रेणी में शामिल किया गया है, लेकिन साथ ही राज्य सरकारों को छूट दी गई है कि वह इसके आधार में बदलाव कर सकते हैं। बता दें कि प्रदेश में तत्कालीन बसपा सरकार ने टीईटी की मेरिट को ही शिक्षक नियुक्ति का आधार बना दिया था। कई पेचों में उलझी यह प्रक्रिया अभी तक लटकी है।

कई राज्यों में उलझी है प्रक्रिया

टीईटी से प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया अभी तक कई राज्यों में परवान नहीं चढ़ सकी है। सूत्रों के मुताबिक हरियाणा में पैरा टीचर्स को लेकर मामला फंसा है। इसके अलावा पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड व छत्तीसगढ़ आदि में भी कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। बताया जाता है कि एक जनवरी 2012 तक टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारकों की शिक्षक पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया अधिकांश राज्य पूरी नहीं कर सके हैं। उत्तर प्रदेश में कानूनी पेंच व घोटाले के भंवर में मामला फंसा है।

एक्ट में छूट का प्रावधान!


विभागीय सूत्रों के मुताबिक एनसीटीई द्वारा बनाए गए टीईटी एक्ट में राज्य सरकारों को यह अधिकार है कि वह 31 मार्च 2015 तक शिक्षकों की भ‌र्त्ती करने के लिए नियमों को शिथिल कर सकती है। बताते हैं कि किसी भी राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से बीएड डिग्रीधारकों के लिए टीईटी को और समय देने का अनुरोध नहीं किया है। केवल उत्तर प्रदेश ने केन्द्र सरकार से 31 मार्च 2015 तक समय बढ़ाने की फरियाद की है। बहरहाल सवाल पैदा होता है कि क्या प्रदेश में टीईटी एक्ट के प्रावधानों को समझने में नासमझी हुई है? या फिर मामले को उलझाने के लिए यह सब नूरा कुश्ती चल रही है।

News : Jagran (16.4.12)

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