Sunday, April 1, 2012

UPTET : Cheating with Lakhs of Candidates



लाखों टीईटी अभ्यर्थियों के साथ धोखा ǃ
(UPTET : Cheating with Lakhs of Candidates )

Article By - Abhishek Kant Pandey
टीईटी निरस्त करने और अध्यापक चयन नियमावली बदलने की तैयारी चल रही है। पिछली सरकार के समय में प्राथमिक विद्यालय में 72825 शिक्षाकों की भर्ती विज्ञापन को निरस्त कर अभ्यर्थीयों का 500 रूपये वापस कर दिया जायेगा। यानि यह सरकार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेगी। लेकिन लाखों बेरोजगारों का क्या दोष जिन्होंने मेंहनत और ईंमानदारी से टीईटी परीक्षा उतीर्ण की और हजारों रूपये खर्च किया। और यह आशा रखी की भारत का लोकतांत्रिक ढांचा के तहत नौकरी मिल जाएगी। लेकिन सरकार के बदलते ही निर्णय भी बदल दिया गया। पिछली सरकार के समय में निकली विज्ञप्‍ति को निरस्त करने की मंशा के चलते लाखों लोगों का भविष्य दांव में लग गया है

क्या टीईटी को निरस्त करना उचित हैॽ 
क्या यह सही है कि जिस टीईटी परीक्षा में इतने सवाल उठ रहे हैं तो ऐसे में सरकार को निश्पक्ष जांच कराकर दोषियों को सजा दिया जाना चाहिए। ऐसे लोगों को बाहर कर टीईटी से चयन करना चहिए जबकि किसी परीक्षा को निरस्त करना कहां की समझदारी है। वहीं टीईटी की मेरिट की हाईकोर्ट इलाहाबाद ने भी तारीफ की कहा जिस तरह से एकेडमिक प्रक्रिया से यह उचित है क्योंकि यहां सभी उम्मीद्वारों को सामान अवसर देता है। जिस तरह से बीटीसी 2011 में दर्जनों ऐसे फर्जी अभ्यर्थियों ने प्रवेश लिया और प्रशिक्षण भी कर रहे थे लेकिन जब इनकी मार्कशीट की जांच उप सचिव स्तर के अधिकारयों ने किया तो पता चला कि इनमें से कितने ऐसे प्रशिक्षु मिले जिन्होंने अपनी हाईस्कूल और इण्टर दूसरें दर्जे मे पास लेकिन इसी  रोलनंबर में 70 प्रतिशत तक नंबर बढ़ाकर फर्जी मार्कशीट तैयार की है। ऐस फेर्जी प्रशिक्षुओं के परिजन शिक्षा विभाग में कार्यरत है और अपने पद का दुरपयोग इनका नंबर बढ़या है। यहां पर पूरी प्रक्रिया निरस्त नहीं की तो टीईटी की जांच ऐसे लोगों का पर्दापाश किया जाना चाहिए न की इस परीक्षा को निरस्त करना चहिए। संभव है कि इस परीक्षा को निरस्त करने वालों की मंशा अपने आपकों बचाना है। 
एनसीटीई के द्वारा अनिवार्य शिक्षा कानून के तहत टीईटी परीक्षा अनिवार्य होने से उत्तर प्रदेश की प्राइमरी स्‍कूलों में आध्यापक नियुक्‍ति प्रक्रिया में केवल एकेडमिक के अंक से चयन की नीति उचित नहीं है। जिस तरह से नकल एक बड़ी समस्‍या है और सभी बोर्ड और विश्‍वविद्‍यालय में सामान मार्किंग न होने से यूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इण्टर उतीर्ण छात्र को बमुश्किल से 60 प्रतिशत अंक मिलता है जबकि सीबीएसई और आइएससी बोर्ड में औसत छात्र 70 से 80 प्रतिशत अंक आसानी से पा जाते हैं। वहीं इग्‍नू राजर्षिटण्‍डन ओपन विवि के अलावा प्रोफेशनल कोर्स जैसे बीबीए बीसीए बीएमस बीमास आदि में 70  प्रतिशत से अधिक अंक आसानी से मिलते है। ऐसे में शिक्षक चयन में एकेडमिक रिकार्ड से नौकरी देने पर यूपी बोर्ड और जिन्‍होंने इलाहाबाद बीएचयू जैसे विश्‍विविद्‍यालय से स्‍नातक किया है वहां टापर को भी 75 प्रतिशत नंबर नहीं मिलता है तो ऐसे में इन छात्रों के साथ अन्याय होगा। वहीं संपूर्णानंद विवि में 80 प्रतिशत नंबर आसानी से मिलता है और इस मामले में कई बार कोर्ट ने फर्जी मार्कशीट भी पकड़ा और संस्‍था को भी चेतावनी दी की सभी का डाटा बना कर रखे ताकी पता चले कि किताना नंबर किसने प्राप्‍त किया है। इन सबको देखते हुए टीईटी को चयन का आधार ज्यादा तर्क संगत है। जिसे एकेडमिक चयन के आधार चाहने वालों ने चुनौती दी लेकिन हाईकोर्ट ने 


याचिका खारिज कर दी और कहा कि टीईटी मेरिट से चयन सही है



Article By - Abhishek Kant Pandey (Prkhar Chetna)

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