Monday, April 2, 2012

UPTET : In 2 Years B. Ed Applicants Reduced to Half, Reduces Charm to Become Teacher



दो साल में बीएड के आवेदकों की संख्या हुई आधी , गुरुजी बनने का कम हो रहा क्रेज 
(UPTET : In 2 Years B. Ed Applicants Reduced to Half, Reduces Charm to Become Teacher )

लखनऊ। शिक्षक की नौकरी की गारंटी माने जा रहे बीएड डिग्री का तिलिस्म टूट रहा है। पिछले सत्रों में अर्हता विवाद, फीस की अवैध वसूली, सत्र की लेट लतीफी और इन सबसे कहीं अधिक शिक्षक की नौकरियों के बदलते मानकों से परेशान अभ्यर्थियों ने अब इस डिग्री से किनारा कसना शुरू कर दिया है। संयुक्त प्रवेश परीक्षा शुरू होने के बाद राज्य में बीएड के अभ्यर्थियों की संख्या लगातार दूसरी बार घटी है। सत्र 2012-13 की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदनों की संख्या पिछले दो वर्षों के मुकाबले लगभग आधी रह गई है।
वर्ष 2006 में राज्य में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती विशिष्ट बीटीसी से शुरू की गई जिसमें बीएड को आधार बनाया गया। इसके बाद बीएड का क्रेज इस कदर बढ़ा कि बीएड करने के लिए अभ्यर्थी उमड़ने लगे। इसके साथ ही बीएड कॉलेज खोलने के लिए होड़ मचने लगी। कॉलेजों व अभ्यर्थियों दोनों की ही बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने बीएड की केंद्रीकृत प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी। वर्ष 2007-08 में कानपुर विश्वविद्यालय को पहली बार बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा का जिम्मा सौंपा गया। इसके बाद 2008-09 में आगरा विश्वविद्यालय ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराई। इस दौरान अभ्यर्थियों की संख्या में लगभग 1.90 लाख का इजाफा हुआ। दोनों ही बार प्रवेश परीक्षा, काउसंलिंग, एडमिशन एवं परीक्षा की प्रक्रिया इतनी लंबी खिंची की सत्र नियमन के लिए शासन को सत्र 2009-10 को शून्य घोषित करना पड़ा।
सत्र 2010-11 में बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा का दायित्व लखनऊ विश्वविद्यालय को दिया गया। इस दौरान भी आवेदक लगभग 20 फीसदी बढ़े। बीएड करने वालों की बढ़ती भीड़ का आलम यह रहा कि चार वर्षों में बीएड कॉलेजों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई। सत्र 2010-11 की ही बात करें तो लखनऊ विश्वविद्यालय ने जब काउंसलिंग शुरू की थी तो लगभग 780 कॉलेज थे लेकिन तीसरी काउंसलिंग होने तक कॉलेजों का आंकड़ा 1022 तक पहुंच गया था और सीटें 1.14 लाख हो गईं।
इस सत्र के बाद बीएड की उल्टी गिनती शुरू हो गई। सत्र 2011-12 में आवेदनों की संख्या घटकर 5.31 लाख रह गई, जो लगभग 23 फीसदी कम था। काउंसलिंग के दौरान सीटें भरने के लिए कॉलेजों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। रही-सही कसर आगामी सत्र के लिए हो रही प्रवेश प्रक्रिया में आवेदन के आंकड़ों ने पूरी कर दी है।
आवेदन प्रक्रिया समाप्त होने के बाद बीएड आवेदन का आखिरी आंकड़ा 3.78 लाख का है, जो पिछले सत्र के मुकाबले लगभग 29 फीसदी कम है। इसकी तुलना अगर लविवि द्वारा कराई गई प्रवेश परीक्षा के आवेदनों से की जाए तो यह गिरावट 45 फीसदी से अधिक है।


News : Amar Ujala (2.4.12)

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